युनिकोड की जरूरत समझने के बाद अगला प्रश्न यह है कि चिट्ठा कहां पर स्थापित किया जाये. इसके लिये दो विकल्प हैं: मुफ्त लभ्य वेबसाईटों पर या अपने खुद के वेबसाईट पर. दोनों के अपने फायदे और नुक्सान हैं.
१. मुफ्त वेबसाईट: अकसर काफी बडी कंपनियां लोगों को समान्य वेबसाईट के लिये ब्लाग (चिट्ठा) के लिये जगह मुफ्त में प्रदान करते हैं.इसका फायदा यह है कि आपकी जेब से इस कार्य के लिय फूटी कौडी भी खर्च नहीं होती है. www.Blogger.Com इस का अच्छा उदाहरण है. हिन्दी अपनाने के मामले में भी यहां काफी सहूलियत है. आप प्रोग्रामिंग का क ख ग नहीं जानते तो भी कोई परेशानी न होगी क्योंकि मोटे तौर पर एक नए चिट्ठे की जो जरूरते हैं उन सब का ख्याल पहले से कर लिया गया है और आपको अधिक कुछ नहीं करना पडेगा.
नुक्सान यह है कि इन चिट्ठों पर आपका पूर्ण नियंत्रण नहीं रहता. यदि आप सामान्य से अधिक क्रियाशील व्यक्ति हैं तो कई बार इन सीमाओं के बारे में आप को बहुत कुण्ठा हो सकती है — खासकर यदि आप प्रोग्रमिंग में कुछ दखल रखते हैं तो.
२. अपने खुद की वेबसाईट: यदि आप १००० रुपया प्रति वर्ष खर्च कर सकते हैं तो आप अपने खुद के मालिकाना हक का वेबसाईट या चिट्ठा पंजीकृत कर सकते हैं. इसके कई फायदे हैं. पहला यह है कि आप अपनी पसंद का नाम चुन सकते हैं. दूसरा यह कि इस पर आपका पूर्ण नियंत्रण रहता है. तीसरा यह है कि आप आराम से अपने प्रोग्रामिंग का शौक पूरा कर सकते हैं, ठोकपीट कर सकते हैं.
नुक्सान यह है कि प्रोग्रामिंग और रखरखाव/साजसज्जा पर कुछ अधिक समय देना पडेगा.
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1 comment:
काम की जानकारी मिली।
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