Sunday, December 2, 2007

हिन्दी ब्लागिंग-मार्गदर्शन १

हिन्दी मे हर तरह का चिट्ठा लिखने के लिये बहुत लोग तय्यार है, उनके पास लिखने के लिये समय है, और पाठकों को देने के लिये उनके पास बहुत सामग्री है. इतना ही नहीं, उन मे से बहुतों के पास विविध तरह की सामग्री है जिसे वे काफी सृजनात्मक तरीके से प्रस्तुत करना भी जानते हैं. लेकिन सबसे बडी समस्या यह है कि यह कैसे करेंगे. इंटरनेट एवं संगणक का विकास अंग्रेजी के ऊपर आधारित है, और भारतीय भाषाओं (या गैर-आंग्ल भाषाओं) के लिये पर्याप्त साफ्टवेयर उपलब्ध नहीं है.जो उपलब्ध है उनमे आपसे में किसी तरह का सामंजस्य नहीं है. फलस्वरूप किसी एक फान्ट मे लेख लिखा जाए तो इस बात की गारंटी नहीं है कि दूसरे लोग उसे पढ सकेंगे.

अंग्रेजी मे किसी एक फान्ट मे लेख लिखा जाये, और पढने वाले की मशीन पर वह फान्ट न हो तो उसके बदले कोई और फान्ट आ जाता है और पढने मे रुकावट नहीं आती है. लेकिन हिन्दी के फान्टों मे इस तरह का तालमेल नहीं है. इस कारण एक के बदले दूसरा फान्ट ले लिया जाये तो पाठ्य सामग्री एकदम अपठनीय चिन्हों मे बदल जाती है. इसका एक ही हल है: हिन्दी मे यूनिकोड फान्ट विकसित किये जायें. इनकी विशेषता है आपस मे पूर्ण सामंजस्य, और हर भाषा के फांन्टों मे एक सार्वलौकिक समंजस्य स्थापित करने के लिये ही यूनिकोड ढांचे का विकास किया गया है.

हिन्दी मे चिट्ठा लिखने वाले यदि हिन्दी के यूनिकोड फान्ट का प्रयोग करे तो फायदा यह होगा कि पढने वाले के मशीन पर यदि एक भी यूनिकोड फान्ट होगा तो वह उस लेख को पढ सकेगा. इस बात को मन मे रख कर अगले लेख को पढें. (क्रमश:)

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