Thursday, December 6, 2007

हिन्दी ब्लागिंग मार्गदर्शन ३

ब्लाग स्थापित करने के तकनीकी पहलुओं पर हम अन्य एक खण्ड में प्रकाश डालेंगे. फिलहाल यह मानकर चलते हैं कि आपका ब्लाग तय्यार है एवं आप लिखना प्रारम्भ करने जा रहे हैं. आपके सामक्ष सबसे बडी समस्या यह होगी कि हिन्दी मैं कैसे टंकित करें. डी टी पी के लिये हिन्दी में बहुत से व्यापारिक साफ्टवेयर औजार उप्लब्ध हैं, लेकिन वे जाल देखते ही हाथ उठा देते है. उनमें से अधिकतर यूनिकोड में काम करने के लिये नहीं बनाये गये हैं. बनाये भी गये हों तो पांच से छः हजार रुपल्ली खर्च करना औसत व्यक्ति के वश की बात नहीं है. कुछ व्यापारिक सोफ्टवेयरों का उपयोग चोरी से सम्भव है, लेकिन यह अनैतिक है और विधि के हाथ हमें इसकी कीमत कहीं न कहीं ब्याज के साथ चुकानी पडेगी.

सौभाग्य से, जाल के प्रति समर्पित कई उदारमनस्क सज्जनों एवं संस्थाओं ने इस कार्य के लिए यूनीकोड-सक्षम औजार बनाये हैं जिनको आप आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. इनमें से दो हर तरह से श्रेष्ट है — बाराहा एवं केफे हिन्दी. इन में से बाराहा कर्नाटका में स्थित एक संस्था ने निर्मित किया है जबकि केफे हिन्दी जानेमाने चिट्‍ठाकार मैथिली गुप्त (एवं उनके सुपुत्र सिरिल गुप्त) ने निर्मित किया है. बाराहा काफी पुराना औजार है अत: उसमे जो समस्यायें थीं वे सुलझा ली गई हैं. केफे सिर्फ एक शिशु है, अत: उस में कई समस्यायें हैं. लेकिन कल केफे का होगा क्योंकि उसके रचयिता काफी तेजी से उसमे परिवर्तन एवं संशोधन कर रहे हैं एवं केफे काफी आधुनिक तकनीक से निर्मित किया जा रहा है.

बाराहा या केफे को अपने संगणक पर स्थापित करने के बाद इनको चालू करते ही आपका संगणक एक यूनिकोड-सक्षम हिन्दी टंकण यंत्र में बदल जाता है. अब आप अपने ब्लाग के “लेखन्-स्थान्” पहुंच कर हिन्दी में टंकण प्रारम्भ कर सकते हैं. इन औजारों को आपके संगणक पर स्थापित करने और उनके उपयोग के बारें में अधिक विस्तार से अगले लेखों में देखेंगे.

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1 comment:

राजीव तनेजा said...

उपयोगी जानकारी के लिए शुक्रिया...

यूँ ही ज्ञान बाँटते रहें...