Monday, December 10, 2007

हिन्दी ब्लागिंग मार्गदर्शन 6

जैसा मैंने पिछले लेख में कहा था कि सिर्फ मंगल फांट ही फिलहाल अच्छा परिणाम देता है. लेकिन,  चिट्ठाकार सिर्फ “मंगल” का ही प्रयोग करे तो भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह मंगल ही रहेगा. चिट्ठे को चलाने वाला सफ्टवेयर उपभोक्ता की जानकारी के बिना कई बार उसको बदल देता है. मेरे चिट्ठे में यह अकसर होता रहता है, और मुझे उसके कारण अतिरिक्त प्रयास करना पडता है. अखण्डित चिट्ठा चाहते हैं तो आपको भी इस की जानाकारी रखनी होगी. इन विषयों के बारे में विस्तार से तकनीकी चर्चा (सरल तरीके से) अगले चिट्ठे में करेंगे.

इस चिट्ठे में हम एक विशेष औजार से आपका परिचय करवाना चाहते हैं जो चिट्ठाकारी में आपका विश्वस्त सेवक सिद्ध होगा. इसका अधिकृत नाम है Windows Live Writer. देखने में यह एक शब्द संसाधक के समान लगता है, और काफी कुछ इसका उपयोग भी उसी तरह से होता है. अंतर यह है कि आप इसकी सहायता से अपने संगणक पर अपना चिट्ठा तय्यार कर सकते हैं. जाल से सम्पर्क की कोई आवश्यक्ता नहीं है. जब आपका चिट्ठा पूरी तरह से तय्यार हो जाये तो अपने संगणक को जाल से जोड दीजिये एवं इस औजार को  आज्ञा दीजिये और यह अपने आप आप के चिट्ठे को आपके जाल-स्थल पर पहुचा देगा, स्थापित कर देगा. इससे समय की बहुत बचत होती है, एवं लिखते समय  जाल-सम्पर्क की आवश्यक्ता न होने के कारण पैसे की भी बचत होती है.

आपने चिट्ठे पर विदेशी हिन्दी पाठकों के अनवरत प्रवाह प्राप्त करने के लिये उसे आज ही हिन्दी चिट्ठों की अंग्रेजी दिग्दर्शिका चिट्ठालोक पर पंजीकृत करें. मेरे मुख्य चिट्टा सारथी एवं अन्य चिट्ठे तरंगें एवं इंडियन फोटोस पर भी पधारें. चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: विश्लेषण, आलोचना, सहीगलत, निरीक्षण, परीक्षण, सत्य-असत्य, विमर्श, हिन्दी, हिन्दुस्तान, भारत, शास्त्री, शास्त्री-फिलिप, सारथी, वीडियो, मुफ्त-वीडियो, ऑडियो, मुफ्त-आडियो, हिन्दी-पॉडकास्ट, पाडकास्ट, analysis, critique, assessment, evaluation, morality, right-wrong, ethics, hindi, india, free, hindi-video, hindi-audio, hindi-podcast, podcast, Shastri, Shastri-Philip, JC-Philip

1 comment:

अभय तिवारी said...

जानकारी के लिए शुक्रिया..
पर आप ने अपना परिचय यूँ क्यों दिया है.. "शास्त्री जी एक वैज्ञानिक (भौतिकी, औषध शास्त्र, पुरावस्तु शास्त्र) हैं एवं भारतीय सामाजिक नवोत्थान के लिये चिट्ठालेखन करते हैं!"
क्या यह आप के किसी शिष्य ने लिखा है..? या आप अपने बारे में ऐसे ही बात करते हैं ?