Wednesday, December 19, 2007

अपना चिट्ठा/जालस्थल लुटेरों से बचायें 6

जहां तक हो सके मुफ्त जालसुविधा से बचना चाहिए, खास कर यदि आप अपनी रचनाओं को कीमती समझते हैं तो. इतना ही नहीं, यदि जाल को आप यदि अपने आंशिक या पूर्ण आय का साधन बनाना चाहते हों तो भूल कर भी वह दूसरे की मिल्कियत के “आभासी” जमीन पर न स्थापित करें. इस तरह से करने गये एक व्यक्ति की आपबीती नीचे दिये चित्र में आप देख सकते हैं.

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इस व्यक्ति द्वारा प्रदत्त सेवा का मैं बहुत उपयोग करता हूं. मेरा एक विज्ञापन भी इन दिनों इनके चिट्ठे पर आता है. इन्होंने मुफ्त जालस्थल पर जगह लेकर एक गजब की सेवा शुरू की. आय का एक जरिया बनाना इनका लक्ष्य था. लेकिन जब इनके जालस्थल पर आने वालों की संख्या बढी तो अचानक बिना सूचना के यह सुविधा इन से छिना ली गई. अब इन्होंने पैसा खर्च करके अपना खुद का जालस्थल खरीद लिया है. लेकिन ग्राहकों को नये जालस्थल तक लाने के लिये सारी मेहनत शुरू से करनी पडी.

आपको लगेगा कि शायद “बडी” जालकम्पनियां शायद इस तरह का काम नहीं करेंगी. यह आपकी गलतफहमी है. अन्तर्जाल का कुल मिलाकर लगभग 25 साल का अस्तित्व रहा है. इन 25 सालों मे मुफ्त सुविधा देने वाली कोई भी कम्पनी 10 साल से अधिक अपनी मुफ्त सेवा एक सा नहीं रख सकी है. किसी जमाने में हॉटमेल की तूती बजती थी. आज वह काफी पीछे खिसक गया है, एवं उसे कई मुफ्त सुविधाये प्रदान करने के दो से तीन साल में ही बंद कर देना पडा. यही हालत याहू का है. किसी जमाने में वह मुफ्त POP3 ईपत्र की सुविधा प्रदान करता था. मुझ जैसे नवागंतुक ने उस समय अपना सारा कारोबार याहू के POP3 ईपत्र पर निर्भर कर दिया था. एक दिन अचानक सूचना मिली कि यह मुफ्त सुविधा अब हटा ली गई है. तीन महीने संघर्ष करके मैं ने अपने नये POP3 ईपतों को अपने ग्राहकों तक पहुंचाया. मानसिक परेशानी, समय की बर्बादी, एवं जालआय बन्द होने की संभावना इन तीनों महीने मेरे सर पर लटकती रही.

आज चिट्ठाकरों को मुफ्त जगह देने में गूगल सबसे आगे है. वर्डप्रेस उसके बाद है. गूगल अपने दुनियां भर फैले लगभग 200,000 सर्वरों की मदद से अपना व्यापार चला रहा है. इसके लिये करोडों रुपया प्रति दिन लगता है. अधिकर पैसा विज्ञापन से आता है. लेकिन जिस दिन विज्ञापन से होने वाली आय में मन्दी आयगी उस दिन गूगल आपका गला घोंटने लगेगा. याद रखें, अमरीकी कम्पनियां पैसे की कमी पडने पर किसी को भी निर्दयता से बाहर कर देती है. जिन लोगों ने अपनी सारी जिन्दगी इन कम्पनियों को दी है, उनका भी कोई ख्याल नहीं रखा जाता है.

अत: मित्र, यदि आपका चिट्ठा/जालस्थल आपके लिये या अपकी आय के लिये महत्वपूर्ण है तो आज ही अपने स्वयं का जालस्थल खरीद लीजिये

आपने चिट्ठे पर विदेशी हिन्दी पाठकों के अनवरत प्रवाह प्राप्त करने के लिये उसे आज ही हिन्दी चिट्ठों की अंग्रेजी दिग्दर्शिका चिट्ठालोक पर पंजीकृत करें. मेरे मुख्य चिट्टा सारथी एवं अन्य चिट्ठे तरंगें एवं इंडियन फोटोस पर भी पधारें. चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: विश्लेषण, आलोचना, सहीगलत, निरीक्षण, परीक्षण, सत्य-असत्य, विमर्श, हिन्दी, हिन्दुस्तान, भारत, शास्त्री, शास्त्री-फिलिप, सारथी, वीडियो, मुफ्त-वीडियो, ऑडियो, मुफ्त-आडियो, हिन्दी-पॉडकास्ट, पाडकास्ट, analysis, critique, assessment, evaluation, morality, right-wrong, ethics, hindi, india, free, hindi-video, hindi-audio, hindi-podcast, podcast, Shastri, Shastri-Philip, JC-Philip

7 comments:

Vinod Kumar ( Educator ) said...

namsta ,

App na likha ka jalstal apna khridna chahia per yadi hum abhi nae blogger hai . tatha abhi amdan kmani ho to phir kya kra

Anonymous said...

Hello. This post is likeable, and your blog is very interesting, congratulations :-). I will add in my blogroll =). If possible gives a last there on my blog, it is about the Smartphone, I hope you enjoy. The address is http://smartphone-brasil.blogspot.com. A hug.

राजेंद्र माहेश्वरी said...

आदरणीय भाई सा,

वन्दे मातरम।

आप जैसे गुरु हमारे साथ रहेंगे तो निश्यच ही हिन्दी का इन्द्रजाल एक दिन नई उंचाइया छुएगा।

विनोद कुमार जी के प्रश्न का जवाब लगभग सभी नये ब्लोगर को हैं। इस प्रश्न का उत्तर अवश्य दिलावे।

सादर।

parikshit said...

sir namashkar hame bhi aapne karvan me shamil kijiye.................

betuki@bloger.com said...

आपसे कुछ गुर मिलें और कमाई के सुरक्षित तरीके तो मजा आ जाए।

संगीता पुरी said...

बड़ा अच्छा सुझाव दिया है आपने। लेकिन हिन्दी ब्लागरों को कुछ कमाई होनी शुरू हो जाए , तब तो। वैसे अपनी भाषा की उन्नति के लिए भी कुछ तो करना ही पड़ेगा।

Dr. Manish Kumar Mishra said...

हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं ,
आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संगोष्ठी को संपोषित किया जा सके इस सन्दर्भ में औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.

संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (२०-२१ जनवरी २०१२ ) संगोष्ठी में अभी पूरे साल भर का समय है ,लेकिन आप लोगों को अभी से सूचित करने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है क़ि मैं संगोष्ठी के लिए आप लोगों से कुछ आलेख मंगा सकूं.
दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें .
आप सभी के सहयोग क़ी आवश्यकता है . अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें


डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय
गांधारी विलेज , पडघा रोड
कल्याण -पश्चिम
pin.421301
महाराष्ट्र
mo-09324790726
manishmuntazir@gmail.com
http://www.onlinehindijournal.blogspot.com/ http://kmagrawalcollege.org/
आलेख लिखने के लिए उप विषय
हाल ही में जो पोस्ट मैंने प्रस्तावित ब्लागिंग संगोष्ठी के सन्दर्भ में लिखी थी ,उसी सम्बन्ध में कई लोगों ने आलेख लिखने के लिए उप विषय मांगे .मूल विषय है-''हिंदी ब्लागिंग: स्वरूप,व्याप्ति और संभावनाएं ''
आप इस मूल विषय से जुड़कर अपनी सुविधा के अनुसार उप विषय चुन सकते हैं
जैसे क़ि ----------------
१- हिंदी ब्लागिंग का इतिहास
२- हिंदी ब्लागिंग का प्रारंभिक स्वरूप
३- हिंदी ब्लागिंग और तकनीकी समस्याएँ
४-हिंदी ब्लागिंग और हिंदी साहित्य
५-हिंदी के प्रचार -प्रसार में हिंदी ब्लागिंग का योगदान
६-हिंदी अध्ययन -अध्यापन में ब्लागिंग क़ी उपयोगिता
७- हिंदी टंकण : समस्याएँ और निराकरण
८-हिंदी ब्लागिंग का अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य
९-हिंदी के साहित्यिक ब्लॉग
१०-विज्ञानं और प्रोद्योगिकी से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
११- स्त्री विमर्श से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
१२-आदिवासी विमर्श से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
१३-दलित विमर्श से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
१४- मीडिया और समाचारों से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
१५- हिंदी ब्लागिंग के माध्यम से धनोपार्जन
१६-हिंदी ब्लागिंग से जुड़ने के तरीके
१७-हिंदी ब्लागिंग का वर्तमान परिदृश्य
१८- हिंदी ब्लागिंग का भविष्य
१९-हिंदी के श्रेष्ठ ब्लागर
२०-हिंदी तर विषयों से हिंदी ब्लागिंग का सम्बन्ध
२१- विभिन्न साहित्यिक विधाओं से सम्बंधित हिंदी ब्लाग
२२- हिंदी ब्लागिंग में सहायक तकनीकें
२३- हिंदी ब्लागिंग और कॉपी राइट कानून
२४- हिंदी ब्लागिंग और आलोचना
२५-हिंदी ब्लागिंग और साइबर ला
२६-हिंदी ब्लागिंग और आचार संहिता का प्रश्न
२७-हिंदी ब्लागिंग के लिए निर्धारित मूल्यों क़ी आवश्यकता
२८-हिंदी और भारतीय भाषाओं में ब्लागिंग का तुलनात्मक अध्ययन
२९-अंग्रेजी के मुकाबले हिंदी ब्लागिंग क़ी वर्तमान स्थिति
३०-हिंदी साहित्य और भाषा पर ब्लागिंग का प्रभाव
३१- हिंदी ब्लागिंग के माध्यम से रोजगार क़ी संभावनाएं
३२- हिंदी ब्लागिंग से सम्बंधित गजेट /स्वाफ्ट वयेर
३३- हिंदी ब्लाग्स पर उपलब्ध जानकारी कितनी विश्वसनीय ?
३४-हिंदी ब्लागिंग : एक प्रोद्योगिकी सापेक्ष विकास यात्रा
३५- डायरी विधा बनाम हिंदी ब्लागिंग
३६-हिंदी ब्लागिंग और व्यक्तिगत पत्रकारिता
३७-वेब पत्रकारिता में हिंदी ब्लागिंग का स्थान
३८- पत्रकारिता और ब्लागिंग का सम्बन्ध
३९- क्या ब्लागिंग को साहित्यिक विधा माना जा सकता है ?
४०-सामाजिक सरोकारों से जुड़े हिंदी ब्लाग
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